करीब दस महीनों के बाद आज अपने ब्लॉग पर कुछ लिख रही हूँ। इतने दिनों न लिखने के बहुत ढेर सारे कारण हैं, उनको फिर कभी बताउंगी पर अभी बताती हूँ कि मैं क्यों फिर लिख पा रही हूँ...............इतने दिनों लिखा तो नहीं पर बहुत कुछ पढ़ा और बहुतों को पढ़ा। उस बहुत कुछ और बहुतों में से कुछ ने मेरे अन्दर फिर से नए प्राणसंचार कर दिए हैं जो मेरा दिल फिर से सोचने पर मजबूर हो गया है। या यूँ कहें कि मैं दिल के हांथो मजबूर हो गयी हूँ। उसे सोचने से नहीं रोक सकती। विचारों कि बाढ़ सी आगयी है। दिल दिमाग में झंझावात से उठ रहे हैं। मन बहुत बेचैन है। समझ में नहीं आता कि शुरू कहाँ से करूं...................अब उस आरम्भ का आरम्भ हो ही गया है तो शुरू से ही शुरू करती हूँ। सबसे पहले तो उन दोस्तों का शुक्रिया जिनके कारण मैं आज फिर यहाँ हूँ। क्योंकि जो आपके में ऊर्जा का संचार करे, जो आपको भूली राह दिखाए, जो आपको आगे बढ़ने को प्रेरित करे वो आपके दोस्त के अलावा और कौन हो सकता है। अब वो कौन हैं इसे एक अबूझ पहेली ही बना रहने देती हूँ।
(कुछ पंक्तियाँ याद आरही हैं.... पता नहीं किसकी हैं )
शुक्रिया ऐ मेरी गैरत को जगाने वाले
मुझको मालूम नहीं था मैं अभी ज़िंदा हूँ।