करीब दस महीनों के बाद आज अपने ब्लॉग पर कुछ लिख रही हूँ। इतने दिनों न लिखने के बहुत ढेर सारे कारण हैं, उनको फिर कभी बताउंगी पर अभी बताती हूँ कि मैं क्यों फिर लिख पा रही हूँ...............इतने दिनों लिखा तो नहीं पर बहुत कुछ पढ़ा और बहुतों को पढ़ा। उस बहुत कुछ और बहुतों में से कुछ ने मेरे अन्दर फिर से नए प्राणसंचार कर दिए हैं जो मेरा दिल फिर से सोचने पर मजबूर हो गया है। या यूँ कहें कि मैं दिल के हांथो मजबूर हो गयी हूँ। उसे सोचने से नहीं रोक सकती। विचारों कि बाढ़ सी आगयी है। दिल दिमाग में झंझावात से उठ रहे हैं। मन बहुत बेचैन है। समझ में नहीं आता कि शुरू कहाँ से करूं...................अब उस आरम्भ का आरम्भ हो ही गया है तो शुरू से ही शुरू करती हूँ। सबसे पहले तो उन दोस्तों का शुक्रिया जिनके कारण मैं आज फिर यहाँ हूँ। क्योंकि जो आपके में ऊर्जा का संचार करे, जो आपको भूली राह दिखाए, जो आपको आगे बढ़ने को प्रेरित करे वो आपके दोस्त के अलावा और कौन हो सकता है। अब वो कौन हैं इसे एक अबूझ पहेली ही बना रहने देती हूँ।
(कुछ पंक्तियाँ याद आरही हैं.... पता नहीं किसकी हैं )
शुक्रिया ऐ मेरी गैरत को जगाने वाले
मुझको मालूम नहीं था मैं अभी ज़िंदा हूँ।
14 comments:
"किसी के चले जाने से ज़िन्दगी रूकती नहीं है
बार-बार ज़िन्दा होना ही पड़ता है खुद के वज़ूद के लिये........."
amitraghat.blogspot.com
Accha ho aap apney aap ko bahney dey. Saagar pe baandh nahi banaye jaatey.
Aag or likhiye.
शुक्रिया ऐ मेरी गैरत को जगाने वाले
मुझको मालूम नहीं था मैं अभी ज़िंदा हूँ।
hosla banaye rakhiye aur aage badhiye jab itne achche dost sath hain to dar kaisa.
दोस्ती एक नियामत है बरकरार रखे
चलना ही जिन्दगी है, चलती ही जा रही है.
आप लिखने के साथ साथ औरों के ब्लाग पढ़ भी रही है,यही आपको लिखने के लिए प्रेरित भी करेगा और नए नए आइडिया भी देगा!मेरी शुभकामनायें!!
बहुत ख़ुशी हुई आपसे मिलकर ....ब्लॉग तक आने का बहुत बहुत शुक्रिया.
शिखा जी,
बहुत-बहुत स्वागत आपका. मैं आपकी कमी को बड़ी शिद्दत से महसूस कर रही थी. मैंने शायद आपसे कारण भी पूछा था पोस्ट न लिखने का. मैं आपको फिर से इस ब्लॉग जगत में पाकर जितनी खुश हूँ, शायद ही कोई हो. सच कह रही हूँ. कभी-कभी तो मुझे चिन्ता हो जाती थी और ऊटपटांग ख्याल आने लगते थे, जैसा कि मानव-स्वभाव ही है कि अपनों को पास न पाकर जाने क्या-क्या सोचने लगता है.
हम कभी नहीं मिले पर जाने क्यों एक अनाम सा रिश्ता बन जाता है किसी किसी के साथ. मैं हमेशा आपके साथ हूँ. आप फिर से लिखें, अच्छी-अच्छी कविताएँ और हाँ व्यंजन की विधियाँ, हालांकि उस ब्लॉग पर मैं कभी नहीं गयी. पर इस ब्लॉग की कविताएँ पढ़ना कभी नहीं भूलती थी. क्योंकि आप दिल से लिखती हैं. ऐसे ही लिखते रहिये पूरी ऊर्जा के साथ. शुभकामनाएँ !!
पहली बार देखा आपका ब्लॉग.
हिन्दी पर मज़बूत पकड़ है आपकी.
कविता. कहानी. लेख....हर विधा प्रशंसनीय है.
एक अंतराल के बाद फिर से लेखन शुरू करने के लिये बधाई....सिलसिला बनाये रखियेगा.
बस, बने रहिये..शुभकामनाएँ..
शिखा जी पुनर्वापसी का स्वागत है ..बस अब शुरू हो जाईये धडाधड ..शुभकामनाएं
अजय कुमार झा
शुक्रिया………………दोस्तों का?दोस्त तो हमेशा आपके साथ रहेंगे उनका शुक्रिया अदा करें या ना करें।दोस्त इस दुनिया का सबसे अनमोल रतन है आप खुशकिस्मत है जो आपका खज़ाना उससे भरा है।
स्वागत है आपका।
SHIKHA TUMHARA BLOG DEKHA YEH EK SURPRISE PACK THA 'READ THOUSAND WRITE ONE' BAHUT ACHHA LAGA
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