अब तुम्हारी आंखों के सिवा
कुछ याद नहीं रहता
बहुत कोशिश करूं तो
तुम्हारी धुंधली सी सूरत
ज़हन में आती है
ये तुम्हें भूल जाने की
शुरुआत है
या फिर तुम्हारी यादें
मुझमें इतनी जज़्ब हो गई हैं
कि अब उनका अलग वज़ूद ही मिट गया है।